Tuesday, May 8, 2018

बारिश शायरी रोमांटिक इन हिंदी

आंखो की बारिश मेंं,ये दिल ना भर जावे ।
दूर ख्यालों, में कोई फिर ना टुर जावे॥
अपनी ही महफिल में, लगता है तनहा वो,
दर्द हिजर का या रब्ब, हद से न गुजर जावे ।
रुतबे, का मान गले में करता है खारिश,
फनकार के , कंठ तले कैसे सुर जावे ।
दर्द जिगर का ,लिखते हैं हम बन के शायर,
सोचे,पल में कैसे, दर्द हमें फुर जावे ।
हिन्दू मुस्लिम सिक्ख ईसाई के घर हैंं सब ,
कोई राह गली है ! जो आदमपुर जावे ।
" चौहान"

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