Tuesday, April 10, 2018

mohabbat ka sikandar poetry

मोहब्बत को अगर 
जीतने से कोई जीत सकता
तो कब का
कोई ना कोई 
सिकंदर बनके इसे जीत लेता
और ये किसी एक की 
हो के रह जाती
मोहब्बत तो
मोहब्बत में हार जाने से मिलती है
लकिन
मोहब्बत में हार जाना
हारना नहीं होता
मिट जाना होता है
फ़ना होना होता है
मोहब्बत में हारने वाला ही
मोहब्बत का सिकंदर  है ।
"चौहान"

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