ग़ज़ल अब कोई दवा ना कर । अहले दिल वफ़ा ना कर । पागल तो कहेगा वो, तू कोई गिला ना कर । कर दे जो बियां हसती, यूं ही कुछ लिखा ना कर । सुनने दे कही उनकी, ए दिल तू सदा ना कर । अपनी जुल्फ की छाँव से, अब मुझ को रिहा ना कर । तुझ को भी भुला दूं मैं, ऐसा कुछ ख़ुदा ना कर ।
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