Wednesday, April 11, 2018

ahle dil wafa na kar - ghazal

ग़ज़ल
अब कोई दवा ना कर ।
अहले दिल वफ़ा ना कर ।
पागल तो कहेगा वो,
तू कोई गिला ना कर ।
कर दे जो बियां हसती,
यूं ही कुछ लिखा ना कर ।
सुनने दे कही उनकी,
ए दिल तू सदा ना कर ।
अपनी जुल्फ की छाँव से,
अब मुझ को रिहा ना कर ।
तुझ को भी भुला दूं मैं,
ऐसा कुछ ख़ुदा ना कर ।
"चौहान"

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