Thursday, March 29, 2018

बरसात का मौसम शायरी


ग़ज़ल
ए ना समझ दिल तू घबरा रहा है क्यों ।
फिर इस्क के राह पर,अब जा रहा है क्यों ।

सावण महीने की, बरसात का मौसम,
मेरे जिगर, में आग लगा रहा है क्यों ।

वो कह रहा है हस के ठीक है, लेकिन
चेहरा हमें कुछ और बता रहा है क्यों ।

हां चाहता, तो फिर से जीत जाता,जालिम,
वो मात के ही दाव लगा रहा है कयों ।

मुद्दत हुई उनको, देखा नहीं " चौहान"
मेरे ख्यालों में, वो आ रहा है क्यों ।
चौहान"

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