Thursday, April 5, 2018

mohabbat poetry punjabi shayari

मोहब्बत
इश्क की बाजी
दिल हार कर
दिल जीतने वाला खेल
ग़म खाने की भूख
अश्कों को पीने वाली तिश्नगी
तनहाई में बातें करने का लुत्फ
तो ले फिर
ऐ दिल
हमने भी बांट दिए
इस खेल के पत्ते
अब तू खेल ना खेल
जीतने के लिए खेल
बले ही हारने के लिए खेल
मरजी आपजी
हार-जीत मेरी ।
"चौहान"



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