Sunday, November 12, 2017

zakham poetry in hindi -sher o shayari chauhan ·

किस ग़म की बात करू, किस किस ग़म की तेरे पास दवा है,
लाखो छेद बने हैं दिल पर, अब तक हर एक ज़ख्म हरा है ।
महलों में रहने वाले महलों से, निकले तो देखेगे,
चांद गगन का उनकी खातिर, फिर छत पर आज रुका है ।
जो जो बातें हैं ईस दिल में आज नसे में कह देता हूं,
साकी फिर भर पैमाना फिर, पागल दिल बहक रहा है ।
"चौहान"

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