एक नदी से आज मिलती, इक नदी भी देखी,
आज मिलता इक किनारे से किनारा देखा ।
सूरजे की रौशनी है चांदनी है चांद की,
आपने कब साक़िया दिलबर हमारा देखा ।
"चैहान"
आज मिलता इक किनारे से किनारा देखा ।
सूरजे की रौशनी है चांदनी है चांद की,
आपने कब साक़िया दिलबर हमारा देखा ।
"चैहान"
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