ग़ज़ल
ए हवा ए बेखबर ।
सुन जरा ए बेखबर ।
गुमसुदा मेरा पता,
ना बता ए बेखबर ।
तू हकीकत और मैं,
ख़ाब सा ए बेखबर ।
दर्द की वो दास्तां,
छेड़ ना ए बेखबर ।
होश में है कौन अब,
साकीया ए बेखबर ।
कौन है "चौहान" तू,
दे सदा ए बेखबर ।
"चौहान"
ए हवा ए बेखबर ।
सुन जरा ए बेखबर ।
गुमसुदा मेरा पता,
ना बता ए बेखबर ।
तू हकीकत और मैं,
ख़ाब सा ए बेखबर ।
दर्द की वो दास्तां,
छेड़ ना ए बेखबर ।
होश में है कौन अब,
साकीया ए बेखबर ।
कौन है "चौहान" तू,
दे सदा ए बेखबर ।
"चौहान"
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