मेरी आंखों को आपने हाथो से बंद करना
मैं कौन
अकसर उनका कहना
एक जाना जाना सा सवाल
तनहाई का कमाल
बाकमाल बाकमाल
कलम की नोक से उतरी
सासों की मचलती कशिश
कागज़ पे छप कर मेरी आरजू का पता देती
मेरी कविता
मेरी हसरत
हा हा हाआ
जवाब सुनकर उनका यूं हँसना
जैसे पूनम का चांद
जैसे फूलों में गुलाब
जैसे हसीं तसव्वर की तसवीर
जैसे शिव की किताब
लाजवाब लाजवाब
झुकी नज़र की हया
उठती आंख की अदा
उनका कहना
हाय खुदा हाय खुदा
आप झूठ बहुत बोलते हो
जिन्दगी जिन्दगी ।
"चौहान"
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