कोई अहसास बनता है ज़ख्म देने के लिए नासूर बनने के लिए जलने के लिए कोई अहसास बनता है ज़ख्म से नासूर बने घाब की दवा होने के लिए अब हम किसी से कया कहें शिकवा कया करें ये तो अहसास है जो कभी आप जैसा होता है कभी मेरे जैसा कभी दर्द हो जाता है कभी दवा । "चौहान"
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