Tuesday, April 3, 2018

अहले -दिल शायरी

ग़ज़ल
बातो बातो में फिर , बात निकल आवे ना ।
कातिल का नाम जबां पे अब,ए दिल आवे ना ।
वो पास कया बैठे मेरे, दिल ने की गुजारिश,
कि सफर अब बढ़ जावे,कोई साहिल आवे ना ।
जीवन की उलझन को,कर दे यूं हल अब ए दिल
मुश्किल को भी,मुश्किल होने में मुश्किल आवे ना।
कहने को ही है सब,परसों नरसों आया कब,
आज बनेगा कल भी,कल का कल कल आवे ना ।
सिमटा, लिपटा, बिखरा, टूटा,फिर मी पागल कयू ,
इक पल भी चैन तुम्हें, ए अहले दिल आवे ना ।
"चौहान"



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