आंख खुलते ही नज़र ने, एक नज़ारा देखा,
फलक पर भी आज तनहा, एक सितारा देखा ।
आदमी को आदमी से, हो रही है नफरत,
नफरतो में डूबता यूं शहर सारा देखा ।
वो खुशी को बांटता था , इक गुब्बारा देकर,
इक ख़ुदा का नेक बन्दा आज यारा देखा ।
एक नदी से आज मिलती, इक नदी भी देखी,
आज मिलता इक किनारे से किनारा देखा ।
सूरजे की रौशनी है चांदनी है चांद की,
आपने कब साक़िया दिलबर हमारा देखा ।
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