माचिस की जलती तीली सा इक अहसास
माचिस की जलती तीली साइक अहसासरोज़ आग लगाता है मुझेजलती उम्मीदें जलते खाबउठती लपटेंदिखाई देती हैं मुझेजलाती हैं मुझेमगर पता नहीं क्योंंकुछ राख नहीं होतापता नहीं क्योंंमैं फ़ना नहीं होतामाचिस की जलती तीली साइक अहसासरोज़ आग लगाता है मुझेकुंदन बनाता है मुझे ।"चौहान"
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